सूर्यप्रकाशित विराम
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उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, और वसंत की गर्म धूप को अपने चेहरे पर सहलाने दिया। बालकनी उसकी शांति का छोटा सा द्वीप बन गई - जहाँ बादल आलस से बहते हैं, हवा अपने रहस्य फुसफुसाती है, और सूरज उसे कोमल आलिंगन में लपेट लेता है। वह एक बुने हुए लाउंजर पर लेटी हुई थी, जो हल्के कपड़े में लिपटा हुआ था, खुद को बस अस्तित्व में रहने दे रही थी - कोई विचार नहीं, कोई जल्दबाजी नहीं, बस पल के साथ सामंजस्य।
25 may को आ रहा है
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